प्लास्टिक से Paracetamol! वैज्ञानिकों ने खोजा चौंकाने वाला तरीका
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वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक को Paracetamol दवा में बदलने की अनोखी तकनीक खोजी है। जानिए कैसे एक बैक्टीरिया और जैव-रसायन के मेल से हुआ यह संभव, और क्या है इसका भविष्य।
सोचिए अगर आपके घर में पड़ी पुरानी प्लास्टिक की बोतलें किसी दिन दर्द की दवा बन जाएं! यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि विज्ञान की नई खोज है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिससे प्लास्टिक कचरे (Plastic Waste) को Paracetamol जैसी आम लेकिन ज़रूरी दवा में बदला जा सकता है - और वह भी बेहद कम समय और पर्यावरण के नुकसान के बिना।
यह संभव हुआ है एक खास तरह के बैक्टीरिया E. coli (ई. कोलाई) की मदद से, जिसे वैज्ञानिकों ने जेनेटिकली मॉडिफाई करके एक छोटा सा मेडिकल कारखाना बना दिया है।
प्लास्टिक की बोतलों का Paracetamol से कैसे जुड़ा रिश्ता
इस रिसर्च का केंद्र रहा एक सामान्य प्लास्टिक, जिसे हम रोज़मर्रा में इस्तेमाल करते हैं - PET (Polyethylene Terephthalate)। यह वही प्लास्टिक है, जिसका इस्तेमाल पानी की बोतलों और फूड पैकेजिंग में होता है।
वैज्ञानिकों ने PET को एक खास रासायनिक प्रक्रिया से ऐसे मटेरियल में बदला, जिसे E. coli बैक्टीरिया अपनी जरूरत के लिए इस्तेमाल कर सके। जब इसे बैक्टीरिया के साथ रखा गया, तो उन्होंने उसे PABA (para-aminobenzoic acid) नाम के एक जरूरी यौगिक में बदल दिया।
PABA वह कंपाउंड है जो बैक्टीरिया आमतौर पर अपनी DNA सिंथेसिस के लिए खुद बनाते हैं, लेकिन यहां बैक्टीरिया को इसके लिए PET-आधारित मटेरियल ही लेना पड़ा।
इस पूरी प्रक्रिया में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि Lossen Rearrangement नाम की एक रासायनिक प्रतिक्रिया, जिसे पहले कभी जीवित कोशिकाओं (living cells) में होते नहीं देखा गया था, वह भी बिना किसी हानिकारक प्रभाव के खुद-ब-खुद बैक्टीरिया के अंदर हुई।
यह प्रतिक्रिया आमतौर पर लैब में हाई टेंपरेचर और खतरनाक केमिकल्स के साथ की जाती है। लेकिन यहां E. coli के अंदर मौजूद phosphate ions ने इसको सहज बना दिया।
जेनेटिक इंजीनियरिंग से बनी Paracetamol
इसके बाद वैज्ञानिकों ने E. coli को और आगे मॉडिफाई किया। उन्होंने उसमें दो अतिरिक्त जीन डाले - एक मशरूम से और एक मिट्टी में रहने वाले बैक्टीरिया से। इन जीन की मदद से बैक्टीरिया ने PABA को Paracetamol में बदल दिया।
और तो और, 24 घंटे से भी कम समय में PET से Paracetamol तैयार हो गई - 92% तक की हाई यील्ड और बेहद कम प्रदूषण के साथ।
क्या यह मेडिकल इंडस्ट्री की क्रांति है?
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक अभी शुरुआती स्टेज पर है, लेकिन इसके कमर्शियल स्तर पर इस्तेमाल की अपार संभावनाएं हैं।
यह पहली बार है जब किसी ने केवल रसायन विज्ञान (Chemistry) और केवल जीव विज्ञान (Biology) की बजाय दोनों को मिलाकर एक हाइब्रिड तरीका बनाया है - जो प्लास्टिक को दवा में बदल सकता है।
यह न केवल दवा बनाने की प्रक्रिया को टिकाऊ बना सकता है, बल्कि प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic Pollution) से लड़ने का नया तरीका भी बन सकता है।
यह खोज भविष्य में न केवल प्लास्टिक के निपटारे का समाधान दे सकती है, बल्कि दवा बनाने के तौर-तरीकों को भी पूरी तरह से बदल सकती है।
अगर यह तकनीक आगे चलकर औद्योगिक स्तर पर सफल होती है, तो हम उस दौर की कल्पना कर सकते हैं, जब हर घर का प्लास्टिक कचरा किसी दवा कंपनी का कच्चा माल हो!
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